प्रभु येशु मसीह का आज का विचार, पार्थना के विषय में - आप पार्थना इस प्रकार किया करो

 मत्ती 6:5-15


5  जब तुम प्रार्थना किया करोतो जैसे लोग कपटियों के समान प्रार्थना करते है, वैसे करोक्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर लोग खड़े होकर प्रार्थना करते है उनको अच्छा लगता हैमैं तुम से सच सच कहता हूंकि वे अपना प्रतिफल पा चुके।


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प्रभु येशु मसीह का आज का विचार, तुम अगर उपवास करते हो तो इस तरह किया करो


मत्ती 6:16-18

16 जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।

17 परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो।

18 ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा॥

प्रभु येशु मसीह का विचार, तुम अगर दान करते हो तो इस तरह किया करो

मत्ती 6:1-4


1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
4 ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा॥

उत्पति 1:1-15


1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि (रचना) की।

2 पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा छाया हुआ था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।

3 तब परमेस्वर के वचन के अनुशार परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।

4 और परमेश्वर ने उजियाले को तो कहा अच्छा है; और तब परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।

5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥

6 तब परमेश्वर ने कहा, की जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।

7 तब परमेश्वर ने जल को अलग किया एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।

8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तब सांझ हुई और फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥

9 फिर अगले दिन परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया।

10 तब परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; और जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

11 फिर परमेश्वर ने कहापृथ्वी से हरी घासतथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगेंऔर वैसा ही हो गया।

12 फिर परमेश्वर ने पृथ्वी से हरी हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिनमें अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया॥

14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।

15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया।

16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईंउन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लियेऔर छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनायाऔर तारागण को भी बनाया।

17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,

18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया॥

20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।

21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

प्रभु येशु मसीह का आज का विचार, पार्थना के विषय में - आप पार्थना इस प्रकार किया करो

  मत्ती 6:5-15 5   जब   तुम   प्रार्थना   किया   करो ,  तो   जैसे   लोग   कपटियों   के   समान   प्रार्थना करते है , वैसे न करो ,  क्योंकि...